छत्तीसगढ़ खरगोश पालन योजना | Chhattisgarh Rabbit Farming Scheme
छत्तीसगढ़ सरकार दवारा राज्य में किसानों और ग्रामीणों की आय को बढाने के लिए खरगोश पालन योजना को शुरु करने की घोषणा की गई है। इस योजना के लिए कृषि मेले में छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, अंजोरा, दुर्ग के स्टॉल में हैदराबादी नस्ल के खरगोशों को प्रदर्शनी होगी, जिससे राज्य में खरगोश पालने पर जोर दिया जाएगा। इस योजना को राज्य की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुस्र्वा और बारी से जोडा जाएगा। प्रदेश सरकार ने 2010 में किसानों तथा ग्रामीणों के लिए खरगोश पालन एवं विक्रय द्वारा अतिरिक्त आमदनी की पहल की थी, लेकिन खरगोश पालन और प्रजनन इकाई में संवर्धित प्रजातियों को लेकर ग्रामीणों में उस समय जानकारी का अभाव था। जिससे किसानों ने खरगोशों को पालने से दूरी बना ली, और ये योजना सफल न हो सकी। लेकिन अब इस योजना को दोवारा से शुरु किया जा रहा है। जो कमियां पहले रही थीं, उन पर विचार कर एक नई रणनीती वनाई गई है। जिसमें पहली बार हैदराबाद से चिनचिला, कैलिफोरिया प्रजाति के खरगोश लाए गए हैं। किसान किस तरह से आय बढ़ाए, इसके बारे में विवि केवीके के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण और जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी। इसका इस्तेमाल खाने में, ब्रश बनाने और घर में पालने के शौक के चलते बाजार में खरगोश की कीमत 300 से 2500 रुपये है। खरगोश पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसके बारे में ज्यादातर किसान अनजान हैं। लेकिन हरियाणा, पंजाब, झारखंड आदि राज्यों के किसान खरगोश पालकर अपनी आय में सुधार कर रहे हैं।
उद्देश्य | An Objective
छत्तीसगढ़ खरगोश पालन योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों और ग्रामीणों जानकारी उपलव्ध करवाना है, ताकि वे अपना विजनेस अच्छी तरह चला सकें।
पात्रता | Eligibility
- छत्तीसगढ़ राज्य के स्थायी निवासी
- ग्रामीण और किसान
- खरगोश पालने के शौकिन
हैदराबादी खरगोश की खासियत | The specialty of Hyderabadi rabbit
- इस योजना का लाभ वह व्यकित ले सकता है, जिसे खरगोश पालने की पूरी जानकारी है।
- मादा खरगोश एक वर्ष में 6 से 7 बार तक गर्भ धारण करती है।
- गर्भ धारण के दौरान ये एक बार में 14 बच्चों को जन्म दे सकती है।
- मादा खरगोश का गाभिन काल 30 दिन का होता है।
- खरगोश छोटे, और बहुत ही सुंदर जानवर होते हैं और बहुत फुर्तीले होते हैं।
- खरगोश के लिए अलग तरह के चिकित्सक होते हैं।
- इनके शरीर और फर को हर रोज़ झाड़ना पड़ता है।
- इनके दाँत और नाखुन बढ़ते ही रहते हैं। इसलिए इनका बहुत ज़्यादा ध्यान रखना पढ़ता है।
- बिना सावधानी के, एक खरगोश को बाहर नहीं जाना चाहिए। इससे उसको खतरा हो सकता है।
- हर खरगोश एक दूसरे से किसी ना किसी तरह से अलग होता है।
- ये बहुत ही समझदार और चालाक होते हैं।
- ये 10-15 साल तक ही जीवित रह सकते हैं।
- बिल्लियों की तरह, खरगोश अपने आप को साफ रखते है।
- इन्हें दिन में कम से कम 4 घंटे व्यायाम और खेल की ज़रूरत होती है।
- इनकी सुनने की क्षमता काफी तेज़ होती है। वे एक ही बार में दो दिशाओं से आवाज़ सुन सकते हैं।
- इनके दाँत बहुत ही मज़बूत होते हैं, और ये कभी बढ़ना बंद नहीं करते।
- इनकी आवाज़ बिल्लियों से मिलती है।
- एक खरगोश अपने बच्चे को दिन में सिर्फ पाँच मिनट खाना खिलाती है।
- ये ठंड में रहना पसंद करते हैं।
- खरगोश की नज़र भी बहुत तेज़ होती है। ये असानी से अपने पीछे भी देख लेते हैं।
खरगोश पालने और उनकी देखभाल करने के लिए नीचे दी गई जानकारी का होना वहुत जरुरी है | The following information is necessary to raise and take care of rabbits
- खरगोश के 28 दाँत होते हैं।
- इनका वज़न लगभग 22 किलो होता है।
- ये तेज़ी से दौडते हैं।
- ये 36 इंच की ऊँचाई तक कूद सकते हैं।
- ये पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं।
- घास के अलावा ये फल, फल के बीज, और सब्ज़ियाँ जैसी चीज़ें खाने के शौकिन होते हैं।
- ये कुत्ते और बिल्ली जैसे अन्य जानवर के साथ भी रहना पसंद करते हैं।
- इन्हें हमेशा उल्लू और चील जैसे पक्षियों से खतरा लगा रहता है।
- इनके कान 4 इंच लम्बे होते हैं।
- जो खरगोश जंगल में रहते हैं, वे ज़मीन के नीचे एक गढा बनाकर रहना पंसद करते हैं।
- जब इनका जन्म होता है, तब इनके शरीर पर फर नहीं होते।
- दिन में खरगोश कम से कम 18 बार सोते है।
- साल भर में इनके दाँत कम से कम 49 इंच बढ़ते रहते हैं।
- जो खरगोश पालते हैं वे उनसे प्यार जताने के लिए उन्हें चाटते हैं।
- इनके आगे के पैर में 5 उंगलियाँ होतीं हैं, और पीछे के पैर पर 4 होती हैं।
- इन्हें पसीना नहीं आता।
- एक मिनट में खरगोश का दिल 150-200 बार धड़कता है।
- ये अपनी आँखें खुली रखकर सो सकते हैं।
- ये वहुत संवेदनशील होते हैं, जिनका ध्यान रखना वहुत जरुरी है।
- इन्हे पालने से पालक की अच्छी कमाई होती है, पर उसके लिए इनकी देखभाल और उन्हे पालने के लिए जानकारी का होना वहुत आवश्यक है।
पालतु खरगोश को दिया जाने वाला खाना | Pet rabbit Food serve
खरगोश मुख्यत: शाकाहारी होते है। यह साधारणत: दाना, घास एवं रसोईघर का बचा हुआ सामान खाते हैं। खरोगश दिन में 100 से 120 ग्राम दाना खाते है। इन्हें हरी घास, खराब फल, बचा हुआ दूध, खाने योग्य खरपतवार आदि दिया जाता है।
खरगोश पालने से होने वाले लाभ | Benefits of raising rabbits
- इस योजना का लाभ देने के लिए लाभार्थी को 7 दिन की ट्रेनिंग मिलेगी।
- खरगोश फार्म पर छोड़ने और खरीदने की सुविधा उपलव्ध होगी।
- लाभार्थी को फार्म बनाने की लोकेशन के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
- खरगोश के पालन-पोषण की पूरी जानकारी लाभार्थी को दी जाएगी।
- फीड घर पर बनाने की विधि भी लाभार्थी को उपलव्ध करवाई जाएगी।
- खरगोश पालने से घर में सुख समृद्धि आती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- कई तरह के व्यापारों में खरगोश के फर का भी प्रयोग होता है, और ऐसे व्यापारों के लिए भी फार्मिंग के ज़रिये खरगोश बेचे जा सकते हैं।
- खरगोश का मीट ह्रदय रोग से परेशान लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है, क्योंकि इसमें 0% कोलेस्ट्रोल पाया जाता है।
- खरगोश सालभर में कम से कम से कम 7 से 14 बार प्रेग्नेट होते है। जिन्में साल भर में 10 लाख रुपए के खरगोश बिक जाते हैं। जिससे खरगोश पालने वालों की आय में वढोतरी होती है।
- इस योजना से खरगोश स्टॉल पर खरीदारी के लिए काफी भीड देखने को मिल रही है।
- बाजार में खरगोश की कीमत 300 से 2500/- रुपये है।
- बिजनेस सही चलने पर इस योजना से महीने में लाखों की कमाई होगी।
- खरगोश की ऊन भी व्यवसाय को वढाने में काफी कारगर साबित होती है।
- इस योजना से वेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खुलेगें।
- इस योजना से किसानों की आय में भी वढोतरी होगी।
- जो आवेदक इस योजना से जुडेगा उसका बिजनेस दिन-प्रतिदिन वढेगा।
- इस योजना से कम खर्चे में अधिक मुनाफा होगा।
आशा करता हूं आपको इस आर्टीकल के दवारा सारी जानकारी मिल गई होगी। आर्टीकल अच्छा लगे तो कोमेंट और लाइक जरुर करें।
Last Updated on May 10, 2021 by Abinash