कम्प्यूटर के मुख्य पार्ट्स और उनका विवरण | The main parts of the computer and their details in hindi
कम्प्यूटर के मुख्य पार्ट्स | Main parts of computer
(A) सिस्टम यूनिट – सिस्टम यूनिट डाटा को प्रोसेस करने वाले इलैक्ट्रॉनिक तत्वों को नुकसान से बचाता है। हर कम्प्यूटर में सिस्टम यूनिट होती है। अधिकतम इलैक्ट्रॉनिक तत्व और स्टोर करने वाले उपकरण सिस्टम यूनिट के भीतर ही होते हैं।
1। सी।पी।यू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट ) – सी।पी।यू को माइक्रोप्रोसेसर भी कहा जाता है। यह एक तरह से कम्प्यूटर का दिमाग होता है जो सभी प्रकार के प्रोग्रामों को रन (चलाता) करता है। यह क्म्प्यूटर के सभी प्रकार के कार्यो को मैनेज करता है। इनमे वे सभी जरुरी निर्देश होते हैं, जिनसे कम्प्यूटर ऑपरेट होता है। प्रोसेसर इन दिनो ‘मल्टी कोर’ प्रोसेसर मे आ रहे हैं। कोर प्रोसेसर मे वह सभी जरुरी सर्किट होते हैं जो निर्देशों का पालन करते है।
मल्टी प्रोसेसर एक सिंगल चिप होती है जिसमे दो या दो से अधिक मल्टी कोर प्रोसेसर होते हैं। दो मल्टी कोर प्रोसेसर ’डयूल कोर’ और ‘क्वाड कोर’ होते हैं। डयूल कोर प्रोसेसर में एक चिप होती है जिसमे दो अलग- अलग कोर प्रोसेसर शामिल होते हैं। इसी प्रकार क्वाड कोर भी एक चिप होती है जिसमे चार कोर प्रोसेसर शामिल होते हैं।
2। मदरबोर्ड – इसे ‘मेनबोर्ड’ या ‘सिस्ट्म बोर्ड’ भी कहा जाता है। यह मुख्य बोर्ड होता है जिसमे सॉकेट लगे होते हैं और इससे अन्य बोर्ड भी जुड सकते हैं। मदरबोर्ड में कई तरह की चिप लगी होती हैं जिसमे से प्रोसेसर या सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट मुख्य है।
3। मेमोरी – कम्प्यूटर मे ‘मेमोरी’ की भूमिका अह्म है। मेमोरी मे वो डाटा जिसे प्रोसेस होना है और जो प्रोसेस हो चुका है दोनो मौजुद होते हैं। ये मेमोरी, डाटा, निर्देश और सूचनाएं स्टोर करने की अस्थायी जगह होती है।
4। रैम (रैंडम एक्सेस मेमोरी) – रैम मेमोरी चिप्स से तैयार की जाती है। सीपीयू और अन्य उपकरणों की सहायता से इसका इस्तेमाल किया जाता है। कम्प्यूटर को स्टार्ट करने के लिए जब पावर ऑन की जाती है तो कुछ ऑपरेटिंग सिस्टम फाइल स्टोरेज डिवाइस से लोड की जाती हैं जैसे हार्ड डिस्क से रैम में, यह फाइल रैम में उतने समय तक रह्ती हैं जब तक कम्प्यूटर चल रहा है।
ज्यादातार रैम असिथर होती है। कम्प्यूटर के बंद होते ही यह अपनी कंटेन्टस खो दे देती हैं। इसलिए भविष्य में इस्तेमाल हेतु डाटा को सेव करना पडता है। रैम में मौजूद वस्तुओं को हार्ड डिस्क पर कॉपी करने की प्रक्रिया को सेविंग कह्ते हैं।
5। रोम (रीड ओनली मेमोरी) – रोम स्टोरेज मीडिया की श्रेणी मे आता है। जिसका इस्तेमाल कम्प्यूटर और अन्य इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। रोम की चिप में स्थायी डाटा, निर्देश और सूचनाएं होती हैं।
उदाहरण के तोर पर इसमें निर्देशों की श्रंखला से युक्त बेसिक इनपुट /आउटपुट सिस्टम होता है। जिससे कम्प्यूटर सटार्ट होते ही ऑपरेटिंग सिस्टम में अन्य फाइलें लोड हो जाती हैं।
6। एक्सपेन्शन स्लॉटस और एक्सपेन्शन कार्डस – एक्सपेन्शन स्लॉटस एक सॉकेट होता है जिसकी मदद से सर्किट बोर्ड को मदरबोर्ड में लगाया जाता है। यह सर्किट बोर्ड कम्प्यूटर में नये उपकरणों को जोडने या कम्प्यूटर की क्षमता को बढाने का काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर इससे मेमोरी का विस्तार किया जा सकता है।
कई बार किसी उपकण को किसी आयाम को कार्ड के रुप में बनाया जाता है। अन्य कार्डो के साथ इस एक्सपेनशन कार्ड को उपकरण जैसे स्कैनर से एक केबल की मदद से जोडा जाता है।
7। पोर्टस – पोर्ट कम्प्यूटर के पीछे लगा हुआ एक कनेक्टर या सॉकेट होता है। बाहरी उपकरणों जैसे कि-बोर्ड, मॉनीटर, प्रिंटर और माउस को सिस्टम यूनिट में ज्यादातर एक केबल की मदद से जोडा जाता है, जिससे इन उपकरणों और कम्प्यूटर के बीच डाटा और सूचनाएं स्थानांतरित होती हैं।
पोर्ट केबल को उपकरण से जोडने का काम करता है। केबल का एक छोर सिस्टम यूनिट पर लगे पोर्ट से जुडा होता है और दूसरा छोर उपकरण पर लगे कनेक्टर से।
8। पावर सप्लाई– पावर सप्लाई अल्टरनेटिव करंट को डायरेक्ट करंट में बदलने का काम करती है और इसी से कम्प्यूटर काम करता है। पावर सप्लाई की क्षमता को वाटस में नापा जाता है। एक औसत कम्प्यूटर लगभग 250 वाटस का इस्तेमाल करता है, जबकि एक साधारण बल्ब 60 वाटस बिजली से चलता है।
कम्प्यूटर के भीतरी तापमान को पावर सप्लाई के अंदर लगे पंखे की मदद से नियंत्रित किया जाता है।
(B) स्टोरेज डिवाइसिस – स्टोरेज डिवाइसिस पूरक, स्थायी, सेकेंडरी और ज्यादा स्टोरेज के तौर पर जाना जाता है। ये भविष्य के लिए डाटा, इंस्ट्रक्शंस और इन्फोर्मेशंस रख सकता है।
1। हार्ड डिस्क ड्राइव – हार्ड डिस्क ड्राइव एक स्टोरेज डिवाइस होती है जिसमे एक या एक से अधिक वृताकार प्लेट होती हैं जो डाटा निर्देशों व सूचनाओं को स्टोर करने के लिए चुंबकीय कणों का इस्तेमाल करती है। प्रत्येक प्लेट में दो सिरे (रीड और राइट) होते हैं।
इनमे से प्रत्येक प्लेटर और उसके किनारे में टैक्स की संख्या समान होती है और ट्रैक की वह सिथति जो सभी प्लेटर्स को विभाजित करती है, सिलेंडर कह्लाती है। सभी कम्प्यूटर और नोट बुक में कम से कम एक हार्ड डिस्क जरुर होती है।
2। फ्लॉपी डिस्क – यह स्टोरेज डिवाइस होती है। इनमे डाटा को स्टोर किया जाता है। इन्हें ‘फ्लॉपीज’ और ‘डिस्केटीज’ कहा जाता है।
फ्लॉपी स्थानांतरीय होती है और इन्हें एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
3। फ्लॉपी डिस्क ड्राइव – एक फ्लॉपी डिस्क (एफडीडी) एक डिवाइस (उपकरण) होता है जो फ्लॉपी पर रीड और राइट कर सकता है
अथवा उस पर काम कर सकता है।
4। फ्लैश ड्राइव – यह कम्प्यूटर का नवीनतम रुप है। फ्लैश ड्राइव के दवारा यूजर डाक्यूमेंट, फोटो, म्यूजिक और वीडियो को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर आसानी से स्थानांतरित कर सकता है।
ड्राइव का सबसे ज्यादा फायदा यह है कि इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है, यह बहुत छोटी और ह्ल्की होती है। इसकी क्षमता 16 एमबी से 64 जीबी तक होती है और डाटा को तेजी से स्थानांतरित कर सकती है।
5। सीडी-रोम ड्राइव – कंपेक्ट डिस्क में स्टोर इन्फोर्मेशंस रीड करने वाला डिवाइस सीडी रोम डिवाइस है। ज्यादातर सीडी रोम ड्राइव सिस्टम यूनिट के अन्दर सिथत होती हैं।
इसमें कुछ नंबर लिखे होते हैं जैसे- 16x, 40x या 52x। इनका मतलब ड्राइव की स्पीड से होता है। ज्यादा नंबर का मतलब ज्यादा फास्ट ड्राइव। एक्स का मतलब है कि ओरिजनल सीडी स्टैंडर्ड के मुकाबले ड्राइव का ट्रांसफर रेट कितने गुणा ज्यादा है।
6। सीडी-रोम – सीडी-रोम कंपेक्ट डिस्क रीड ओनली मेमोरी ऐसी कंपेक्ट डिस्क है, जिसमें कम्प्यूटर डाटा को ऐक्सेस करने योग्य वनाता है।
सीडी रोम्स गेम्स व मल्टीमीडिया एप्लीकेशंस सहित कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर वितरित करने के लिए लोकप्रिय हैं। इसमे कोई भी डाटा स्टोर किया जा सकता है। एक स्टैंडर्ड 120 एम।बी। सीडी रोम में 650 या 700 एम।बी। डाटा होते हैं।
(C) इनपुट डिवाइस – कोई भी डाटा निर्देश जिसे आप कम्प्यूटर की मेमोरी में डालते हैं उसे इनपुट कह्ते हैं। विभिन्न तकनीकों के इस्तेमाल से यूजर्स इनपुट डाल सकते हैं।
1। की-बोर्ड – ‘की-बोर्ड’ एक इनपुट उपकरण है। जिसमे कीज लगी होती हैं। इन्ही कीज को दबाकर कम्प्यूटर में डाटा डाला जाता है।
की-बोर्ड की कीज टाइपराइटर की कीज की तरह होती है। एक डेसक्टॉप कम्प्यूटर में 101 से लेकर 105 कीज होती हैं। नोटबुक कम्प्यूटरों जैसे छोटे कम्प्यूटरों की कीज कम होती हैं।
2। माउस – माउस एक प्वांइट उपकरण है। जो आसानी से हाथों में फिट हो जाता है। माउस की मदद से स्क्रीन पर दिखने वाले प्वांइट, जिसे अक्सर माउस प्वांइट कहा जाता है।
माउस के उपरी भाग मे दो या तीन बटन होते हैं। माउस का निचला हिस्सा समतल होता है। जो माउस की चाल का पता लगाने की प्रणाली से प्रयुक्त होता है।
3। स्कैनर – यह इनपुट डिवाइस है। स्कैनर प्रिंटिड टैकस्ट व ग्राफिक्स को पढता है और ऐसी फॉर्म में रिजल्ट्स को बदल देता है। इसके सिवा यह बस एक कॉपी मशीन की तरह काम करता है। एक बार यह ऑबजेक्ट को स्कैन करता है।फिर यह ऑबजेक्ट को स्क्रीन पर डिसप्ले, स्टोरेज मीडियम में स्टोर, प्रिंट, फैक्स और ई-मेल मैसज की तरह अटैच हो सकता है।
4। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भौगोलिक तौर पर अलग-अलग बैठे दो या उससे ज्यादा ऐसे लोगों के बीच की मीटिंग और बातचीत है,
जो नेटवर्क ऑडियो और वीडियो डाटा ट्रांसफर करने के लिए इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।
(D) आउटपुट डिवाइस– कम्प्यूटर में प्रोसेस और ऑर्गेनाइज होने को बहुत सारा डाटा फीड होता है। उपयोगी फॉर्म में प्रोसेस हुआ डाटा आउट्पुट कह्लाता है।
1। मॉनिटर– मॉनिटर आउटपुट डिवाइस है। मॉनिटर पर इंफोर्मेशन इलेक्ट्रोनिक तरीके की होती है। जो कुछ समय के लिए डिसप्ले होती है। इसलिए मॉनिटर को इंफोर्मेशन की ‘सॉफ्ट कॉपी’ माना जाता है।LG Monitor, Samsung LCD monitor , Sony , Intex आदि के मॉनिटर मॉर्किट में आसानी से मिल जाते हैं।
2। स्पीकर – ये कम्प्यूटर का आउट्पुट डिवाइस है। जो म्यूजिक, स्पीच और बीप्स जैसी अन्य आवाजें निकालता है।3। प्रिंटर – यह एक आउट्पुट डिवाइस है। जो कागज पर फिजिकल माध्यम से ग्राफिक्स छापता व मुद्रित करता है। फिजिकल एगिज्सट करने वाली प्रिंटिड इन्फोर्मेशन हार्ड कॉपी कह्लाती है।
आशा करता हूं आपको इस आर्टीकल से जुडी सारी जानकारी मिल गई होगी। अगर आपको ये आर्टीकल अच्छा लगे तो कोमेंट और लाइक जरुर करें।
Last Updated on January 12, 2019 by Abinash