इंटरनेट क्या है ?
इंटरनेट को नेट भी कहा जाता है। इंटरनेट में कई लोकल, रीजनल और इंटरनेशनल नेटवर्क शामिल रह्ते हैं। आप इसके जरिए किसी को मैसेज भेज सकते हैं, नए दोस्त बना सकते हैं, बैंकिग, शॉपिंग, इनवेस्ट, टैक्स भुगतान, शैक्षणिक कोर्स, गेम खेलना, म्यूजिक सुनना अथवा मूवी देखना जैसे कार्य घर बैठे ही निपटा सकते हैं।
इटरनेट का सवसे बडा फायदा यह है कि अपने कम्प्यूटर पर इसका इस्तेमाल आप कहीं भी कर सकते हैं, अपने घर पर, स्कूल में या रेस्टोरेंट में।
इंटरनेट कैसे काम करता है?
इंटरनेट से जुडे कम्प्यूटर क्लाइंट और सर्वरों का इस्तेमाल कर दुनिया भर में एक-दूसरे को डाटा ट्रांसफर करते हैं। वह कम्प्यूटर जो किसी नेटवर्क के स्त्रोतों जैसे प्रोग्राम और डाटा को व्यवसिथत करता है और एक केंद्रीय स्टोरेज एरिया उपलब्ध कराता है, सर्वर कह्लाता है।
वह कम्प्यूटर जो इस स्टोरेज एरिया तक एक्सेस कर प्रोग्राम या डाटा लेना चाह्ता है क्लाइंट कह्लाता है। इंटरनेट पर एक क्लांइट जो कई सारे सर्वरों के फाइलों और प्रोग्रामों तक एक्सेस कर सकता है, होस्ट कम्प्यूटर कह्लाता है। इंटरनेट में मुख्य कम्युनिकेशन लाइनें होती हैं जो ट्रैफिक का अधिकतम भार वाह्न करती हैं। इन कम्यूनिकेशन लाइनों को संयुक्त रुप से इंटरनेट बैकबोन कह्ते हैं। नेटवर्क बिशेष कम्प्यूटरों से जुडे होते हैं जिन्हें राउटर कह्ते हैं।
इंटरनेट कई प्रकार की सुविधाएं प्रदान करता है। – ई-मेल के जरिए आप दुनिया भर के किसी कोने में सिथत अपने रिस्तेदारों, मित्रों, ग्राह्कों को संदेश भेज सकते हैं। सूचना – इंटरनेट पर ह्म अपनी रुचि के विषय के बारे में कोई भी सूचना प्राप्त कर सकते है। मनोरंजन – मनोरंजन के असीमित साधन भी इंटरनेट के दवारा उपलब्ध हो जाते हैं। जैसे – संगीत सुनना, गेम्स, मूवी देखना आदि। इटरनेट पर टाईप्ड मैसेजेज दवारा आप दूसरे व्यकित से बातचीत या चैट कर सकते है। यह बातचीत एक व्यकित या लोगों के समूह के साथ एक ही समय पर संभव हो सकती है।
इंटरनेट के लिए आवश्यक उपकरण :-
1। कम्प्यूटर – कोई भी कम्प्यूटर इंटरनेट से जोडा जा सकता है।
2। प्रोग्राम्स – इंटरनेट पर खास प्रोग्राम्स की जरुरत होती है – ज्यादातर सर्विस प्रोवाइडर इन प्रोग्रामों को मुफ्त में ही देती हैं।
3। मोडेम – मोडेम के जरिए कम्प्यूटर एवं इटरनेट के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।
4। टेलीफोन लाइन – इंटरनेट की सारी सूचना टेलीफोन लाइन के जरिए ही उपलब्ध होती है।
5। स्पीकर – स्पीकरों के जरिए हम कम्प्यूटर पर पैदा हुई आवाजें तथा मानव-ध्वनियां, संगीत इत्यादि सुन सकते हैं।
6। आई।एस।पी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर) – आई।एस।पी। एक कंपनी है जो इंटरनेट तक पहुंच उपलब्ध कराती है, जैसे वी।एस।एन।एल, सत्यम, मंत्रा ऑनलाइन आदि।
ई-मेल
ई-मेल के दवारा आप संदेश या फाइलें कम्प्यूटर नेटवर्क के जरिए कहीं भी प्रेषित कर सकते हैं।ई-मेल के जरिए ई-मेल प्रोग्राम जैसे आउट्लुक एक्सप्रेस, हॉटमेल या जीमेल का इस्तेमाल कर आप मैसेजेस को क्रिएट या भेज सकते हैं, फॉरवर्ड, स्टोर, प्रिंट और डिलीट भी कर सकते हैं। साथ में ग्राफिक्स मैसेज, ऑडियो, वीडियो किलप भी भेजी जा सकती है।
ई-मेल के लाभ
(1) गति – ई-मेल भेजने एक्सचेंज करने या प्राप्त करने के लिए इससे अच्छा और कोई माध्यम नहीं है।
एक मेल विश्व भर में कुछ मिनटों में ही पहुंच जाती है।
(2) कीमत – ई-मेल भेजने या प्राप्त करने के लिए कोई कीमत नहीं देनी पडती।
(3) सुविधा – एक ई-मेल मैसेज किसी भी वक्त कहीं भी भेजी जा सकती है। आपकी मेल सर्विस प्रोवाइडर में स्टोर हो जाएगी और जब प्राप्तकर्ता चाहेगा उसको प्राप्त कर सकेगा।
ई-मेल की मुख्य विशेषताएँ –
1। मैसेज प्राप्त करना – आप अपने कम्प्यूटर को मोडेम से कनेक्ट कर अपने सर्विस प्रोवाइडर से जुड कर मैसेज प्राप्त कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप कहीं भी रहें अपने मैसेज को पुन: प्राप्त कर सकते हैं।
2। मैसेज का रिप्लाई देना – आप मैसेज दवारा किसी प्रश्न का जवाब के बारे में अतिरिक्त सूचना भी प्रदान कर सकते हैं। जब आप मौसेज का उत्तर दें तो यह जरुरी है कि मूल मैसेज का हिस्सा उसमें शामिल कर लें। इसे क्वोटिंग कहा जाता है। क्वोटिंग का काम यह रह्ता है कि जिसने प्रश्न किया हो उसे तुरंत मालूम पड जाता है कि उसके किस मैसेज का जवाब आपने दिया है। उत्तर में मूल मैसेज के वह हिस्से आप delete कर सकते हैं जो आपके उत्तर से मेल नहीं खाते। इस प्रकार आप मैसेज पाने वाले का समय भी बचा सकते हैं।
3। मैसेज को फॉरवर्ड करना – जब आप मैसेज प्राप्त करते हैं तो उसमें आप अपने विचारों को जोडकर उसे फॉरवर्ड भी कर सकते हैं।
4। मैसेज को प्रिंट करना – आप मैसेज का प्रिंट कर उसकी पेपर कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।
5। मैसेज को व्यवसिथत करना – प्राय: ई-मेल प्रोग्राम्स उस मैसेजेस को स्टोर कर लेते हैं जो आपने भेजी हैं, प्राप्त की हैं या delete कर दी हैं।
इन्हें आप अलग फोल्डर्स में रख सकते हैं। इस प्रकार आप सारे मैसेज को व्य्वसिथत कर उनका बाद में पुनर्निरीक्षण भी कर सकते हैं। इन व्यवसिथत मैसेजेस को आप नियमित रुप से delete भी कर सकते हैं। जो आपके काम की न हों।
कम्प्यूटर की सुरक्षा
कम्पयूटर इन दिनों मह्त्वपूर्ण सूचनाओं को तैयार करने, उन्हें स्टोर करने और व्यवसिथत करने के विश्वसनीय सूत्र बनते जा रहे हैं। ऐसे में यह भी काफी मह्त्वपूर्ण है कि यूजर अपने कम्प्यूटर व उसके डाटा को खोने, दुरुपयोग को रोकने व नष्ट होने से बचाने के लिए प्रयास करे।
कम्प्यूटर वायरस – वायरस आपके कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचाने वाला प्रोग्राम होता है। जो आपकी बिना जानकारी के आपके कम्प्यूटर पर नेगेटिव प्रभाव डालता है और आपके कार्य को बाधित कर देता है। विशेष रुप से कम्प्यूटर वायरस कुछ बाहरी स्त्रोत से प्राप्त प्रोग्राम का भाग होता है जो अपने आप कम्प्यूटर में आ जाता है।
यदि एक बार कोई वायरस आपके कम्प्यूटर में आ जाए तो आपकी फाइलें या ऑपरेटिंग सिस्टम खराब हो सकता है। नेटवर्क के विस्तार के साथ ही ई-मेल और इंटरनेट के दवारा कम्प्यूटर वायरस तेजी से फैल रहा है।
वायरस आपके कम्प्यूटर पर तीन तरीकों से एक्टीवेट होता है ।- वायरस वाली फाइल को खोलने से, वायरस वाले प्रोग्राम को चलाने से, डिस्क ड्राइव में वायरस वाली फ्लॉपी को डालकर कम्प्यूटर को बूट (स्टार्ट या शुरु) करने से।
वायरस को नष्ट करना – वायरस के खतरे से अपने कम्प्यूटर को बचाने के लिए आपको इसमें एंटीवायरस प्रोग्राम को इंस्टॉल या लोड करना चाहिए और इसे नियमित रुप से अपडेट करते रह्ना चाहिए। एंटीवायरस प्रोग्राम आपके कम्प्यूटर की मेमोरी में, स्टोर मीडिया या प्राप्त होने वाली फाइल में मौजुद किसी भी वायरस को तलाशता है और उसे रिमूव अर्थात नष्ट कर देता है।
एंटीवायरस प्रोग्राम उस प्रोग्राम को स्कैन करते हैं जो बूट प्रोग्राम, ऑपरेटिंग सिस्टम और दूसरे प्रोग्राम को मॉडीफाई करते हैं। अधिकांश एंटीवायरस प्रोग्राम उन फाइलों को अपने आप स्कैन कर देते हैं जिन्हें आप इंटरनेट से डाउनलोड करते हैं, ई-मेल अटैचमेंट से प्राप्त करते हैं, फाइल को ओपन करते हैं या कम्प्यूटर में डालने वाली किसी भी ड्राइव को उसमें लगाते हैं, जैसे फ्लॉपी डिस्क या जिप डिस्क। एंटीवायरस प्रोग्राम किसी भी वायरस को अपने एक तरह की तकनीक वायरस सिग्नेचर से डिटेक्ट कर और वायरस की फाइलों को पूर्ण रुप से नष्ट कर देते हैं।